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Agri Supervisor Syllabus
Candidates can read or download Agri Supervisor Syllabus here. Agriculture Supervisor also known as Krishi Paryavekshak.
Agri Supervisor Syllabus and Pattern ( Krishi Paryavekshak Syllabus)
Here is complete syllabus and Pattern of Agriculture Supervisor
Title | Details |
---|---|
Board | RSMSSB (Rajasthan Staff Selection Board) |
Official Website | https://rsmssb.rajasthan.gov.in/page?menuName=Home |
Post | Agriculture Supervisor (Krishi Paryavekshak) |
Post Hindi Name | कृषि पर्यवेक्षक |
Total Posts | 882 |
Advertisement | 2021 |
Exam Type | Objective Type Multiple Choice Questions |
Negative Marking | 1/3 |
Total Questions | 100 |
Total Marks | 300 |
Exam Time | 2 Hours |
Agri Supervisor Syllabus in Hindi
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, जयपुर
कृषि पर्यवेक्षक सीधी भर्ती परीक्षा-2021 हेतु विस्तृत पाठ्यक्रम
भाग I : सामान्य हिन्दी (General Hindi)
प्रश्नों की संख्या : 15. पूर्णाकः 45
1. दिये गये शब्दों की संधि एवं शब्दों का संधि-विच्छेद।
2. उपसर्ग एवं प्रत्यय-इनके संयोग से शब्द संरचना तथा शब्दों से उपसर्ग एवं प्रत्यय को पृथक् करना,
इनकी पहचान।
3. समस्त (सामासिक) पद् की रचना करना, समस्त (सामासिक) पद का विग्रह करना।
4. शब्द युग्मों का अर्थ भेद ।
5. पर्यायवाची शब्द और विलोम शब्द ।
6. शब्द शुद्धि – दिये गये अशुद्ध शब्दों को शुद्ध लिखना।
7. वाक्य शुद्धि वर्तनी संबंधी अशुद्धियों को छोडकर वाक्य संबंधी अन्य व्याकरणिक अशुद्धियों का
शुद्धिकरण।
8. वाक्यांश के लिये एक उपयुक्त शब्द।
9. पारिभाषिक शब्दावली – प्रशासन से सम्बन्धित अंग्रेजी शब्दों के समकक्ष हिन्दी शब्द ।
10. मुहावरे – वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है।
11. लोकोक्ति – वाक्यों में केवल सार्थक प्रयोग अपेक्षित है।
भाग II : राजस्थान का सामान्य ज्ञान, इतिहास एवं संस्कृति
(Rajasthan GK, History and Culture)
प्रश्नों की संख्या : 25 पूर्णाकः 75
1. राजस्थान की भौगोलिक संरचना भौगोलिक विभाजन, जलवायु, प्रमुख पर्वत, नदियां, मरूस्थल एवं
फसलें।
2. राजस्थान का इतिहास
सभ्यताएं – कालीबंगा एवं आहड़
प्रमुख व्यक्तित्व – महाराणा कुंभा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप, राव जोधा, राव मालदेव, महाराजा जसवंतसिंह, वीर दुर्गादास, जयपुर के महाराजा मानसिंह-प्रथम, सवाई जयसिंह, बीकानेर के महाराजा
गंगासिंह इत्यादि। राजस्थान के प्रमुख साहित्यकार, लोक कलाकार, संगीतकार, गायक कलाकार, खेल एवं खिलाडी इत्यादि।
3. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में राजस्थान का योगदान एवं राजस्थान का एकीकरण।
4. विभिन्न राजस्थानी बोलियां, कृषि, पशुपालन क्रियाओं की राजस्थानी शब्दावली।
5. कृषि, पशुपालन एवं व्यावसायिक शब्दावली।
6. लोक देवी-देवता प्रमुख संत एवं सम्प्रदाय।
7. प्रमुख लोक पर्व, त्योहार, मेले – पशुमेले।
8. राजस्थानी लोक कथा, लोक गीत एवं नृत्य, मुहावरे, कहावतें, फड, लोक नाट्य, लोक वाद्य एवं कठपुतली
कला।
9. विभिन्न जातियां जन जातियां।
10. स्त्री – पुरूषों के वस्त्र एवं आभूषण।
11. चित्रकारी एवं हस्तशिल्पकला चित्रकला की विभिन्न शैलियां, भित्ति चित्र, प्रस्तर शिल्प, काष्ठ कला,
मृदमाण्ड (मिट्टी) कला, उस्ता कला, हस्त औजार, नमदे-गलीचे आदि।
12. स्थापत्य दुर्ग, महल, हवेलियां, छतरियां, बावडियां, तालाब, मंदिर-मस्जिद आदि।
13. संस्कार एवं रीति रिवाज।
14. धार्मिक, ऐतिहासिक एवं पर्यटन स्थल ।
भाग III : शस्य विज्ञान
प्रश्नों की संख्या : 20 पूर्णाकः 60
राजस्थान की भौगोलिक स्थिति, कृषि एवं कृषि सांख्यिकी का सामान्य ज्ञान। राज्य में कृषि, उद्यानिकी
एवं पशुधन का परिदृश्य एवं महत्व। राजस्थान की कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादन में मुख्य बाधाएं। राजस्थान के
जलवायुवीय खण्ड, मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता। क्षारीय एवं उसर भूमियां, अम्लीय भूमि एवं इनका प्रबन्धन।
राजस्थान में मृदाओं का प्रकार, मृदा क्षरण, जल एवं मृदा संरक्षण के तरीके, पौधों के लिए आवश्यक
पोषक तत्व, उपलब्धता एवं स्त्रोत, राजस्थानी भाषा में परम्परागत शस्य क्रियाओं की शब्दावली। जीवांश खादों
का महत्व, प्रकार एवं बनाने की विधियां तथा नत्रजन, फास्फोरस, पोटेशियम उर्वरक, एकल, मिश्रित एवं योगिक
उर्वरक एवं उनके प्रयोग की विधियां। फसलोत्पादन में सिंचाई का महत्व, सिंचाई के स्त्रोत, फसलों की जल
मांग एवं प्रभावित करने वाले कारक। सिंचाई की विधियां विशेषतः फव्वारा, बून्द-बून्द, रेनगन आदि। सिंचाई
की आवश्यकता, समय एवं मात्रा। जल निकास एवं इसका महत्व, जल निकास की विधियां। राजस्थान के संदर्भ
में परम्परागत सिंचाई से संबंधित शब्दावली। मृदा परीक्षण एवं समस्याग्रस्त मृदाओं का सुधार। साईजेल,
हे-मेकिंग, चारा संरक्षण।
खरपतवार – विशेषताएं, वर्गीकरण, खरपतवारों से नुकसान, खरपतवार नियंत्रण की विधियां, राजस्थान
की मुख्य फसलों में खरपतवारनाशी रसायनों से खरपतवार नियंत्रण। खरतपवारों की राजस्थानी भाषा में
शब्दावली।
निम्न मुख्य फसलो के लिए जलवायु, मृदा, खेत की तैयारी, किस्में, बीज उपचार, बीज दर, बुवाई समय,
उर्वरक, सिंचाई, अन्तराशस्यन, पौध संरक्षण, कटाई-मढाई, भण्डारण एवं फसल चक्र की जानकारी:-
अनाज वाली फसले मक्का, ज्वार, बाजरा, धान, गेहूं एवं जौ।
दाले – मूंग, चॅवला, मसूर, उड़द, मोठ, चना एवं मटर।
तिलहनी फसले मूंगफली, तिल, सोयाबीन, सरसों, अलसी, अरण्डी, सूरजमुखी एवं तारामीरा ।
रेशेदार फसले कपास।
चारे वाली फसले – बरसीम, रिजका एवं जई।
मसाले वाली फसले – सौंफ, मैथी, जीरा एवं धनिया।
नकदी फसले ग्वार एवं गन्ना।
उत्तम बीज के गुण, बीज अंकुरण एवं इसको प्रभावित करने वाले कारक, बीज वर्गीकरण, मूल केन्द्रक
बीज, प्रजनक बीज, आधार बीज, प्रमाणित बीज।
शुष्क खेती – महत्व, शुष्क खेती की तकनीकी। मिश्रित फसल, इसके प्रकार एवं महत्व। फसल चक्र
महत्व एवं सिद्धान्त। राजस्थान के संदर्भ में कृषि विभाग की महत्वपूर्ण योजनाओं की जानकारी। अनाज एवं बीज
का भण्डारण।
भाग IV : उद्यानिकी
प्रश्नों की संख्या : 20 पूर्णाकः 60
उद्यानिकी फलों एवं सब्जियों का महत्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य। फलदार पौधों की नर्सरी प्रबन्धन।
पादप प्रवर्धन, पौध रोपण। फलोद्यान के स्थान का चुनाव एवं योजना। उद्यान लगाने की विभिन्न रेखांकन
विधियां। पाला, लू एवं अफलन जैसी मौसम की विपरीत परिस्थितियां एवं इनका समाधान। फलोद्यान में विभिन्न
पादप वृद्धि नियंत्रकों का प्रयोग। सब्जी उत्पादन की विधियां एवं सब्जी उत्पादन में नर्सरी प्रबन्धन ।
राजस्थान में जलवायु, मृदा, उन्नत किस्में, प्रवर्धन विधियां, जीवांश खाद व उर्वरक, सिंचाई, कटाई,
उपज, प्रमुख कीट एवं बीमारियां एवं इनका नियंत्रण सहित निम्न उद्यानिकी फसलों की जानकारी – आम, नीम्बू
वर्गीय फल, अमरूद, अनार, पपीता, बेर, खजूर, आंवला, अंगूर, लहसूवा, बील, टमाटर, प्याज, फूल गोभी, पत्ता
गोभी, भिण्डी, कद्दू वर्गीय सब्जियां, बैंगन, मिर्च, लहसून, मटर, गाजर, मूली, पालक । फल एवं सब्जी परीरक्षण
का महत्व, वर्तमान स्थिति एवं भविष्य, फल परीरक्षण के सिद्धान्त एवं विधियां। डिब्बाबन्दी, सुखाना एव निर्जलीकरण की तकनीक व राजस्थान में इनकी परम्परागत विधियां। फलपाक (जैम), अवलेह (जेली), केन्डी,
शर्बत, पानक (स्क्वेश) आदि को बनाने की विधियां।
औषधीय पौधों व फूलों की खेती का राजस्थान के संदर्भ में सामान्य ज्ञान। राजस्थान के संदर्भ में उद्यान
विभाग की महत्वपूर्ण योजनाएं।
भाग V : पशुपालन
प्रश्नों की संख्या : 20 पूर्णाक: 60
पशुपालन का कृषि में महत्व। पशुधन का दूध उत्पादन में महत्व एवं प्रबन्धन। निम्न पशुधन नस्लों की
विशेषताऐं, उपयोगिता व उत्पति स्थान का सामान्य ज्ञान :-
गाय – गीर, थारपारकर, नागौरी, राठी, जर्सी, होलिस्टन फिजीयन, मालवी, हरियाणा, मेवाती।
भैंस – मुर्रा, सूरती, नीली रावी, भदावरी, जाफरवादी, मेहसाना।
बकरी – जमनापारी, बारबरी, बीटल, टोगनबर्ग।
भेड़ – मारवाडी, चोकला, मालपुरा, मेरीनो, कराकुल, जैसलमेरी, अविवस्त्र, अविकालीन।
ऊंट प्रबन्धन, पशुओं की आयु गणना।
सामान्य पशु औषधियों के प्रकार, उपयोग, मात्रा तथा दवाईयां देने का तरीका।
जीवाणुरोधक फिनाईल, कार्बोलिक एसिड, पोटेशियम परमेगनेट (लाल दवा), लाईसोल
विरेचक मेगनेशियम सल्फेट (मैकसल्फ), अरण्डी का तेल ।
उत्तेजक – एल्कोहल, कपूर।
कृमिनाशक नीला थोथा, फिनोविस।
मर्दन तेल तारपीन का तेल।
राजस्थान के पशुओं की मुख्य बीमारियों के कारक, लक्षण तथा उपचार पशु-प्लेग, खुरपका-मुंहपका,
लगड़ी, एन्थ्रेक्स, गलघोटूं, थनेला रोग, दुग्ध बुखार, रानीखेत, मुर्गियों की चेचक, मुर्गियों की खूनीपेचिस।
दुग्ध उत्पादन, दुग्ध एवं खीस संघटन, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, दुग्ध परिरक्षण, दुग्ध परीक्षण एवं गुणवत्ता।
दुग्ध में वसा को ज्ञात करना, आपेक्षित घनत्व, अम्लता तथा क्रीम पृथक्करण की विधि तथा यंत्रों की आवश्यकता
एवं दही, पनीर व घी बनाने की विधि। दुग्धशाला के बरतनों की सफाई एवं जीवाणु रहित करना। राजस्थान के
संदर्भ में पशुपालन क्रियाओं एवं गतिविधियों से संबंधित शब्दावली।
प्रश्न पत्र का पेटर्न
1. वैकल्पिक प्रकार का प्रश्न पत्र होगा।
2. अधिकतम पूर्णांक 300 अंक होगा।
3. प्रश्नों की संख्या 100 होगी।
4. प्रश्न पत्र की अवधि 2 घन्टे होगी।
5. प्रत्येक प्रश्न के 3 अंक होगें।
6. प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1/3 अंक काटा जायेगा।
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